Thursday, December 27, 2018

नहीं मिलूँगा अब... Poetry by keshav jha samastipur, Bihar

Emptiness of keshav jha , love hurts at begusarai bihar.

नहीं मिलूँगा अब
सड़कों पर हाथ थामे
बेफिक्र से घूमते
उन प्रेमिल जोड़ों में
न हीं सिनमा की जगह
एक-दूसरे को ताकते
किसी सिनमा घरों में
अब नहीं भिंगेगी
वो अधर भी कभी किसी
चाकलेट की मिठास में
रेस्टुरेंट का वह
टेबुल भी खाली
फिर किसी युगल की तलाश में
पर नहीं मिलूँगा मैं
किसी नज़रों की
प्यास बुझाने को
रूठने-मनाने को
तरस जाओगे
फिरसे तुम
दिल दुखाने को
किसी के अरमानों से
खेल जाने को

#पर #नहीं #मिलूँगा #मैं

...✍️ केशव की क़लम